पाणी ते पिताना | पाण्याचे महत्व | पटवून घ्यावे | सर्वांनी हो ||१||
पाणी ते सहज | साठते साठते | तलाव नि टाक्या | बांधावे हो ||२||
थेंब तो पाण्याचा | वाचवा वाचवा | गाळ तो उपसा | पाण्यासाठी ||३||
पाणी ते अडवा | पाणी ते जिरवा | पाणी ते साठवा | भूमीमध्ये ||४||
तलाव बांधुनी | पाणी जिरवूनी | दुष्काळ हटवा | भारतांत ||५||
पाणी ते दूषीत | करू नका कोणी | विहिरीत घाण | टाकू नका ||६||
आड उपसतां | नित्य आणि रोज | शुद्ध ते मिळेल | पाणी तुम्हा ||७||
शहरांत सुद्द्धा | पाणी जिरवूनी | पाण्याची पातळी | वाढवा हो ||८||
आटतां झरा तो | प्रवास संपतो | जीवन संपते | जाणा तुम्ही ||९||
विचार जरी का | पटतो जयांस | तयांस म्हणावा | माणूस हो ||१०||
पाणी ते जपून | वापरा तुम्ही हो | पाणी ते सर्वांस | मिळावे हो ||११||
बदा बदा पाणी | ओतू नका कोणी | अपव्यय नको | पाण्याचा तो ||१२||
थेंबही तो वाया | दवडू नका हो | पाणी हे जीवन | विसरू नका ||१३||
पाण्याने सर्वांची | तहान भागते | पाण्यानेच धान्य | खूप होते ||१४||
शेती हि पिकतां | अन्न ते मिळते | अन्नाने भागते | भूक ती हो ||१५|
रोप ते लावतां | पाणी शिंपडावे | वृक्ष मोठा होतां | देतो छाया ||१६||
बीज ते पेरावे | एक नि अनेक | वाढेल मग ते | वृक्ष धन ||१७||
वनं ती वाढतां | मिळे प्राणवायू | आरोग्य लाभेल | सर्वांना हो ||१८||
प्रगती होतां ती | पाणी झाले घाण | रोगांचे वाढले | प्रमाण ते ||१९||
ढग गडगडतो | पाऊस तो धो धो | पाणी गटारांत | वाया जाते ||२०||
निसर्ग तो देतो | भर भरून तो | माणूस करंटा | झाला इथे ||२१||
पावसाचे पाणी | जातें गटारांत | माणूस पाहतो | फक्त इथे ||२२||
शिकला असुनी | नुसतीच चर्चा | पाणी जाते वाया | दरवर्षी ||२३||
शहरांत पाणी | जाते पहा वाया | खाडीत गेले ते | वाहुनियां ||२४||
नको नको चर्चा | पाणी पूजनीय | नका दवडू ते | पाणी वाया ||२५||
मनीं माणसां रे | चिंतन करावे | जल वंदनीय | जाणा तुम्ही ||२६||
तन मन धन | अर्पुनी आपण | पाणी मुरवावे | अमूल्य ते ||२७||
वाढली सर्वत्र | पाण्याची टंचाई | नको अपव्यय | पाण्याचा हो ||२८||
घरं आवारांत | एका कोपऱ्यात | पावसाचे पाणी | मुरवूया ||२९||
शेतकऱ्यांची ती | आत्महत्त्या होता | किती नुकसान | भारताचे ||३०||
कृषीप्रधान हा | देश हा म्हणावा | प्रश्न तो पडला | आज सर्वां ||३१||
शहरांत आता | कमी झाले पाणी | त्रस्त झाली लोकं | पाण्याविना ||३२||
वृक्षा रोपण नि | जल संधारण | गुंतवणूक ती | भविष्याची ||३३||
जल साठवावे | माठांत भरावे | थंड जल प्यावें | तृप्त व्हावे ||३४||
मनी ते ठसवा | गळती थांबवा | थेंब तो वाचवा | जीवन हे ||३५||
किती ते तोडले | वृक्ष मानवाने | म्हणून आपदां | आज आलीं ||३६||
झाडें ती तोडतां | निसर्ग कोपतो | दुष्काळ पडतो | जाणा तुम्ही ||३७||
भविष्याचे पाणी | आतांच खेचले | भूमी झाली शुष्क | शहरांची ||३८||
पन्नास वर्षांचे | पाणी ते भूमीत | पुन्हा ते भरणे | कर्तव्य हो ||३९||
गृह प्रकल्पांत | पाणी मुरवा ते | बोअरिंग लावा | पाण्यासाठी ||४०||
पाणी ते तितके | वाचेल नाही का | धरणाचा साठा | वाचेल हो ||४१||
पाणी ते मग हो | वाचले ते जे | शेतीला मिळेल | पाणी खूप ||४२||
पाणी पाहिजे ना | मग रोपे लावा | वृक्ष ते वाढवा | पाण्यासाठी ||४३||
होता जणू स्वर्ग | भारत देश तो | आज तो उजाड | आहे झाला ||४४||
डोंगर बोडके | उजाड ते झाले | जमीन ओसाड | झाडाविना ||४५||
गाईच्या शेणाने | जमीन ती मऊ | पाणी ती शोषते | खूप खूप ||४६||
देशी गाई आता | पुन्हा हो पाळूया | गोधन जरुरी | पाण्यासाठी ||४७||
नको रसायने | भूमी होते घट्ट | ढेकळे जणू ती | दगड हो ||४८||
गाईच्या शेणी त्या | जळणंही होते | झाडे ती वाचती | शेणी मुळे ||४९||
औषधी ते वृक्ष | उपयोगी जाणा | कारे हो दुर्लक्ष | माणसांचे ||५०||
पंचगव्य ते हो | पीतां हो औषधी | आरोग्य लाभते | मानवाला ||५१||
एकमेकांवरी | आहे विसंबून | गाय झाडे पाणी | चक्र जाणा ||५२||
शेण खताने ती | झाडे हो वाढती | पाणी ते खेचती | आकाशाचे ||५३||
शेण खताने ते | शुद्ध पाणी अन्न | नाहीच विकृती | आरोग्याची ||५४||
रसायने ती हो | घातक काही ती | अती झाली आता | थांबवा ती ||५५||
अती तिथे माती | म्हणं ती जाणा | प्राचीन संस्कृती | श्रेष्ठ आहे ||५६||
कृषी आणि ऋषी | आपली संस्कृती | भविष्यासाठी ती | जपा तुम्ही ||५७||
शहरी संस्कृती | ठरली घातक | फक्त प्रदूषण | त्याने होते ||५८||
शहरी संस्कृती | गोऱ्याने आणिली | आह्मी वाढविली | घात झाला ||५९||
कृषी संस्कृती हो | वेगाने संपली | शहरी संस्कृती | अती झाली ||६०||
गाय पूजनीय | अन्न शुद्ध होते | वृक्ष वंदनीय | पाण्यासाठी ||६१||
- सुरेश पित्रे , चेंदणी , ठाणे (पश्चिम)
JCM Hospitality | JCM Hospitality
उत्तर द्याहटवाJCM Hospitality has more than 542 밀양 출장샵 Hospitality locations across 광양 출장안마 Europe. Find the 용인 출장샵 locations you need to book your stay! Book your 창원 출장마사지 stay 창원 출장마사지 now!