|| श्री साई बाबा (शिर्डी) कथा सार स्तोत्र (संक्षिप्त) || || अनंतकोटी ब्रह्मांड नायक राजाधीराज योगीराज || || सतचिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज कि जय || | ||
|| सबका मालीक एक है || भगवान भला करेगा || अल्लाह मालीक है || | ||
श्री गणेशाय नमः | शिर्डीत यती प्रगटले | आओ साई" म्हाळसापती म्हणाले| साई नावाने प्रसिद्ध झाले | विश्वात सा-या ||१|| निम्बाखाली ध्यान करती | हृणानुबंध हा सांगती | मागील जन्मीचे म्हणती | स्थान माझ्या गुरूंचे ||२|| गावात पडकी मशीद होती | द्वारकामाई साई म्हणती | रात्री चावडीत झोपती | श्री साई बाबा ||३|| बाबांनी धुनी पेटविली | अजून ती जळत राहिली | उदीच औषधी झाली | कित्येक रोग्यांची ||४|| झाडलोट स्वतःच करती | गावामध्ये भिक्षा मागती | बायजाबाई खाऊ घालती | रोज बाबांना ||५|| पशु पक्षास खाऊ घालती | गांजलेल्यांची सेवा करती | माणसामधे देव पाहती | श्री साई बाबा ||६|| हिंदू मुस्लीम शीख इसाई | सर्वांचा प्यारा झाला साई | तूच बाबा,तूच आई | सा-या भक्तांची ||७|| बाबांना कुराण माहीत होते | गीतेचे श्लोकही ज्ञात होते | जाती धर्माचे बंधन नव्हते | श्री साई चरणी ||८|| भक्त मंडळी जमती | श्रद्धा,सबुरी शिकवण देती | भक्ती,मुक्तीचा मार्ग दाविती | श्री साई भक्तांस ||९|| "अल्लख निरंजन" म्हणाले | साई शिर्डीत राहिले | निबं वृक्ष फुलविले | स्वतः बाबांनी ||१०|| चमत्कार काही घडले | भक्त भजनी लाविले | सज्ञान करून सोडले | ज्ञान देऊनी ||११|| पाण्याने पणती पेटविली | दिवाळी साजरी केली | भक्तमंडळी आनंदली | वर्णिले श्रीसाई पोथीत ||१२|| बाबांना प्रिय फुलांचा मळा | तसाच वृक्षांचा कळवळा | दाटून येईल गळा | वृक्ष तोडता ||१३|| निंबवृक्षाच्या छायेखाली | शिर्डीमध्ये राहिली | समाधीस्त झाली | साई माय माउली ||१४|| माणसाच्या रुपात फकीर | अधीकारी एक परमेश्वर | साई चरणाने चराचर | पावन झाले ||१५|| | श्रीसाई नाम पावन | करिता मनन चिंतन | आत्मशान्ति धन | लाभते सर्वाना ||१६|| श्रीसाई चरित्र वाचन | भक्तियुक्त अध्ययन | करुणामृत प्राशन | करावे साई नामाचे ||१७|| मालिक एक है सबका | सांगितले अनेकां | तरी भांडता का ? | सवाल हा साईंचा ||१८|| धर्म म्हणजे राम | धर्म म्हणजे जपनाम | धर्म म्हणजे गुरुनाम | जपावे निरंतर ||१९|| धर्म म्हणजे सत्य | अधर्म म्हणजे असत्य | गुरुनाम जपता नित्य | शान्ति लाभते ||२०|| धर्म सदा आनंदमय | अधर्म हा मोहमय | नामजप हा अक्षय | शाश्वत सुखदायी ||२१|| नको फक्त धावपळ | चर्चा फक्त वायफळ | मूषक बनुनी काळ | खातो अहर्निशी ||२२|| भक्ती नको वरकरणी | नाम घ्यावे अंतःकरणी | नमावे साई चरणी | अनन्यभावे ||२३|| नित्य काळ धावतो | अवघे गिळून टाकतो | सारा खेळ संपतो | मोह मायेचा ||२४|| जपता साई नामास | शान्ति लाभते जीवास | आत्मारामाचा प्रवास | मुक्तीच्या दिशेने ||२५|| अधर्म त्वरित सोडणे | धर्मरक्षण अनुसरणे | सत्याचा विजय पाहणे | संतांचा उपदेश ||२६|| हृदय ठोके वाजती | षडरिपु नित्य छळती | जीवास नाही शान्ति | या कलीयुगात ||२७|| लक्ष ठेउनी श्वासावर | नाम जपुनी निरंतर | विजय मिळवा षडरीपुंवर | सांगती सदगुरू ||२८|| साईगंगेत घेता उडी | हाडामांसाची कुडी | कुडीच बनेल शिर्डी | साई नाम आळवीता ||२९|| मन धावते रात्रौप्रहर | नुसता जप भराभर | थांबेल का साई पळभर | अशा नरदेहात ?||३०|| | साईनी बीज रोविले | साईनी रोप वाढविले | साईवृक्षाचे फळ मिळाले | श्रीसाई भक्तांना ||३१|| नाही सोन्याचे भुकेले | नाही चांदीचे भुकेले | नाही हिर-यांचे भुकेले | साईबाबा शिर्डीत ||३२|| नाही भव्य मूर्तीने | नाही भव्य रोषणाईने | साई पावतो भक्तीने | ख-या साई भक्तांस ||३३ || साई भक्तीचे भुकेले | साई भावाचे भुकेले | नाही भपक्याचे भुकेले | गुरु साईबाबा ||३४|| करता साई भक्ती | लाभते मोठी शक्ती | दर्शनासाठी धनयुक्ती | शिर्डी मधे नसावी ||३५|| साई प्रेमाने पावती | साई नम्रतेने पावती | साई सेवेने पावती | ख-या साई भक्तांस || ३६|| साई भक्तांचा मेळा | जमतो चारही वेळा | साई भक्तीचा मळा | फुलतो देवळात ||३७|| चालतसे जगरहाटी | व्यवहाराच्या चौकटी | दर्शनासाठी रेटारेटी | शिर्डी दरबारात ||३८|| साईनाम पेटता धुनी | षडरिपू पडता हवनी | जाळून टाकतो अग्नी | साई मंदिरात ||३९|| मुखी नाम घेता साई | भक्तांची धावते आई | भिक्षा वाढ गे माई | म्हणती साईबाबा ||४०|| साईंची करता आरती | लाभो श्रद्धा साई भक्ती | द्यावी सद्वासना सद्बुद्धी | हीच प्रार्थना ||४१|| सुखशांती लाभेल | आनंदही मिळेल | शेवट गोड होईल | श्रीसाई भजनाने ||४२|| एकदा शिर्डीत जावे | साईचरण पहावे | नतमस्तक व्हावे | साईबाबांसमोर ||४३|| अल्लाह मालीक है | भगवान देखता है | सबका मालीक एक है | म्हणाले साई ||४४ || श्री साईंचे नाव घेतो | साई कथा पूर्ण करतो | भक्तिभावे अर्पण करतो | चरणी साईंच्या ||४५|| |
|| श्रीमत सदगुरू समर्थ साईनाथ महाराज कि जय || अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त || || ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः || शुभम भवतु || शुभम भवतु || शुभम भवतु || || ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः || शुभम भवतु || शुभम भवतु || शुभम भवतु || || ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः || शुभम भवतु || शुभम भवतु || शुभम भवतु || प्रेषक - सुरेश रघुनाथ पित्रे. पत्ता- "वैद्य सदन", पहिला मजला, राघोबा शंकर रोड, लोअर चेंदणी, ठाणे (पश्चिम) , पिन कोड क्र.-४००६०१ संपर्क - ०२२ - २५३३३८६९ ,२५३२६४२९. भ्रमणध्वनी - ९००४२३०४०९ Email ID - kharichavata@gmail.com || ॐ श्री साई नाथाय नमः || |
रविवार, ५ जून, २०११
श्री साई बाबा (शिर्डी) - सबका मालीक एक है
याची सदस्यत्व घ्या:
टिप्पणी पोस्ट करा (Atom)
-
// अभंग गो वंशाचे // अभंग गाईचे // गोमाता सांभाळा / प्रत्येक घरांत / गावांत गोशाळा / हवी हवी // गाय हे जगाचे / आहे हो दैवत / संस्कार ...
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा